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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
नवरात्रि में देवी को प्रसन्न करने के लिए इसका पाठ करें. जानते हैं सिद्ध कुंजिका पाठ की विधि और लाभ.
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
ऐं-कारी सृष्टि-रूपायै, ह्रींकारी प्रतिपालिका।
चाय वाले को बनाया पिता और टेस्ट ड्राइव के बहाने उड़ाई sidh kunjika बाइक, आगरा में शातिर चोर का गजब कारनामा
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति ॥ १४ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
It holds the ability to provide enlightenment from the contrasting Power of Shiva and Shakti and provides sufficient ability to working experience both equally energies at the same time, which, subsequently, will help you comprehend your own private Strength.
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः ॥ ११ ॥